ब्रिटिश कवि डब्ल्यू.एच.ऑडेन (W.H. AUDEN) ने एक बार उल्लेख किया था की,
हजारो लोग प्यार के बिना रह सकते है, लेकिन जल(WATER) के बिना कोई एक इंसान भी जिन्दा नही रह सकता।
ये जानते हुए कि पानी जीवन के लिए इतना महत्वपूर्ण है, फिर भी हम इसे प्रदूषित करते हैं। दुनिया के 80 प्रतिशत प्रदूषित जल को डंप कर दिया जाता है। और वो वापस पर्यावरण में मिलकर , नदियों, झीलों और महासागरों को प्रदूषित करती है।
ये हमारे समाज के लिए एक बहुत बड़ी समस्या है। क्युकी दिन प्रतिदिन जल प्रदूषण की ये समस्या हमारे स्वास्थय के लिए खतरा बनती जा रही है। आज के समय में हर साल जितने लोग युद्ध, और हिंसा से नहीं मरते उससे ज्यादा लोग इस जल प्रदूषण(Water Pollution) की वजह से मर रहे है।
धरती पे जल तो बहुत है, लगभग 70% लेकिन हमारे पिने के लायेक पानी की स्रोत सिमित है। और उसे भी हम अगर इस तरह से प्रदूषित करते रहे, और इसको संरक्षित करने के लिए कोई ठोस कदम नही उठाते तो शायद २०५० तक पिने की पानी की हमारी मुश्किले और भी बहुत बढ़ जाएँगी।
तो आइये इस समस्या को बेहतर ढंग से समझने और इसके रोकथाम के बारे में हम इस आर्टिकल से समझने की कोशिश करते है।
जल प्रदूषण क्या है ? (Jal Pradushan Kya Hai)
जब हम हानिकारक पदार्थ जैसे केमिकल्स(Chemicals), प्लास्टिक (Plastic) सुक्षम्जिवो(Microorganisms) इत्यादि को नदी, झील, महासागर या पानी के किसी और सोर्स के अन्दर फेक देते है, तो इससे उस झील, नदी या महासागर की पानी की प्यूरिटी (Purity) बहुत कम हो जाती है, जिसे हम जल प्रदूषण (Water Pollution) कहते है।
जल प्रदूषण के कारण क्या है ? (Jal Pradushan ke karan kya hai)
जैसा की हम जानते है, की पानी एक UNIVERSAL SOLVENT है।
पानी के UNIVERSAL SOLVENT होने का मतलब ये है की किसी और Liquid(तरल पदार्थ) की तुलना में पानी किसी चीज़ को ज्यादा आसानी से घुलाने में सक्षम है
बहुत तरह की हानिकारक चीज़े जैसे बड़ी बड़ी कंपनियों से निकलने वाली प्रदूषित जल, बड़े बड़े शहरो की सारा कचरा इत्यादि बहुत ही आसानी से पानी में घुल सकती है, और यही सब हानिकारक चीज़े पानी में घुलकर पानी को प्रदूषित कर रही है।
जल प्रदूषण के कौन कौन से प्रकार है ? (Jal Pradushan Ke kaun Kaun se Prakar hai)
(1) ज़मीन के अन्दर का जल (Ground Water)
जब बारिश होती है तो वो जल पृथ्वी में गहराई तक फैल जाती है,और एक जलभृत का छिद्रपूर्ण स्थान (मूल रूप से पानी का भूमिगत भंडार) भर जाता है, और भूजल बन जाता है - जो की, हमारे सबसे कम दिखाई देने वाले लेकिन सबसे महत्वपूर्ण प्राकृतिक संसाधनों में से एक है। लगभग 40 प्रतिशत लोग इस धरती पे, पीने के पानी के लिए, पृथ्वी की सतह पर निर्भर हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के कुछ लोगों के लिए, यह उनका एकमात्र मीठे पानी का स्रोत है।
भूजल प्रदूषित हो जाता है, जब कीटनाशको और खेती से निकलने वाले दुसित पदार्थ भूमि के अंदर जाकर भूजल में अपना रास्ता बनाते हैं, जिससे यह मानव उपयोग के लिए असुरक्षित हो जाता है। भूजल के दूषित होने से पिने का जल धीरे धीरे महंगा होते जा रहे है। एक बार प्रदूषित होने के बाद, एक जलभृत दशकों के लिए अनुपयोगी हो सकता है।
(2) धरती के सतह पर उपलब्ध जल (Surface Water)
पृथ्वी का लगभग 70 प्रतिशत सतह पर पानी है, जिसे हम सरफेस वाटर कहते है। जो हमारे महासागरों, झीलों, नदियों, और दुनिया के नक्शे पर उन सभी नीले पानी के सोर्स को भरता है। दुनिया के 60 प्रतिशत घरो में मीठे पानी के स्रोतों (जो कि समुद्र के अलावा अन्य स्रोतों से हैं) सतह का पानी (Surface Water) ही है। लेकिन उस पानी का एक महत्वपूर्ण पूल संकट में है।
अमेरिकी पर्यावरण संरक्षण एजेंसी से राष्ट्रीय जल गुणवत्ता पर सबसे हालिया सर्वेक्षणों के अनुसार बताया है की, हमारी नदियों और नदियों का लगभग आधा हिस्सा और हमारी एक तिहाई से अधिक झीलें प्रदूषित हैं और तैराकी, मछली पकड़ने और पीने के लिए अयोग्य हैं। पोषक तत्व प्रदूषण, जिसमें नाइट्रेट और फॉस्फेट शामिल हैं, इन मीठे पानी के स्रोतों में प्रदूषण का प्रमुख प्रकार है।
जबकि पौधों और जानवरों को बढ़ने के लिए इन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है, वे खेत अपशिष्ट और उर्वरक अपवाह के कारण एक प्रमुख प्रदूषक बन गए हैं। नगर निगम और औद्योगिक INDUSTRIAL WASTE भी अपने विषाक्त पदार्थों को सतह पे उपलब्ध पानी में डिस्चार्ज कर रहे है। जिससे हमारा सतह पे उपलब्ध जल(SURFACE WATER) प्रदूषित होते जा रहे है।
(3) Ocean Water (समुंद्री जल) :
अस्सी प्रतिशत(80 %) समुद्री प्रदूषण भूमि पर उत्पन्न होता है - चाहे तट के साथ हो या कोई बेकार की चीज़े समुन्द्र में डालने से हो। उपसिस्ट पदार्थ जैसे रसायन, पोषक तत्व, और भारी धातुएँ खेतों, कारखानों और शहरों से सीधे हमारे तालाबों और नदियों में लाकर डाली जाती हैं; वहाँ से वे समुद्र और झील तक पहुंचते हैं। इससे हमारी नदियों और समुन्द्रो के अंदर का जल प्रदूषित हो रहा है।
(4) Point Source Pollution (पॉइंट सोर्स प्रदूषण) :
जब प्रदूषण किसी एक खास सोर्स से होता है, तो उसे पॉइंट सोर्स प्रदूषण कहा जाता है
पॉइंट सोर्स प्रदूषण के उदहारण है, ख़राब पानी(WASTE WATER) जो किसी कंपनी द्वारा बाहर किसी नदियों या झीलों में गिराया जा रहा हो। हानिकारक पदार्थो को इललीगल तरीके से नदियों में डाला जा रहा हो।
इसलिए हमें पॉइंट सोर्स प्रदूषण को सही से कण्ट्रोल करने के लिए, ये अच्छे से ध्यान रखना चाहिए की हमें कोई भी हानिकारक पदार्थ सीधे नदियों या समुन्द्र में नहीं फेकनी चाहिए।
(5) Non-Point Source Pollution(नॉन-पॉइंट सोर्स प्रदूषण) :
नॉन-पॉइंट प्रदूषण उस प्रदूषण को कहते है जो किसी खास पॉइंट से उत्पन्न नहीं होता है। जैसे धरती की सतह पर उपलब्ध प्रदूषित जल एक प्रकार का गैर-बिंदु स्रोत है क्योंकि सतह पर उपलब्ध जल विभिन्न स्थानों जैसे कि सड़क, कृषि क्षेत्र आदि से होकर बहता है, इसलिए इस मामले में प्रदूषण का स्रोत निर्धारित नहीं किया जा सकता है।
तो दोस्तों आज हमने Water Pollution(जल प्रदूषण) क्या होता है? Water Pollution (जल प्रदूषण) क्यों होता है? और Water Pollution(जल प्रदूषण) कितने प्रकार के होते है?
अगले आर्टिकल में हम Water Pollution(जल प्रदूषण) से जुडी कुछ और जानकारी पढेंगे और सीखेंगे। इसलिए अगर आप Nature(प्रकृति ) और Pollution के बारे में और भी रोचक जानकारी चाहते है तो कृपया हमें फॉलो करे और इस जानकारी को शेयर करके हमें सपोर्ट करे।
4 टिप्पणियाँ
Vital information about nature by you. . Please provide more about it
जवाब देंहटाएंJal hi jivan hai. Isliye hme jal ko save krna chahiye
जवाब देंहटाएंDon't waste water 💧
जवाब देंहटाएंSave water
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